शारदीय नवरात्रा
श्री गणेशाय नमः।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्त स्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
शारदीय नवरात्रा शुरू हो चुके हैं। अबकी बार पूरे 9 दिनों के नवरात्रा रहेंगे यानी कोई तिथि क्षय नहीं हो रही है। शुक्र ग्रह भी उदय रहेंगे और बुध ग्रह का अपनी मित्र की राशि तुला में प्रवेश रहेगा। दिनांक 4 अक्टूबर को सवेर शुक्र तुला राशि मे प्रवेश के साथ बुध से युति करेगा जो कि नवरात्रा के दिनों में महालक्ष्मी योग बनायेंगे। यह अति शुभ है। अतः ऐसे योग में देवी की आराधना अति उत्तम और अभीष्ट फलदायिनी रहेगी।
मैं यहां दुर्गा सप्तशती के कुछ चमत्कारिक मंत्रों का इच्छित फल प्राप्ति हेतु उल्लेख कर रहा हूं ताकि जिनका जप कर जातक गण लाभान्वित हो सके:-
(1) जिस जातक को अपने कार्यों में अड़चन आ रही हो और कार्य नहीं बन पा रहे हो तो वह इस निम्न मंत्र का यथाशक्ति जप करें (यदि 108 बार संभव हो सके तो बहुत अच्छा):-
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।।
(2) जिस कन्या के विवाह में देरी हो रही हो वह इस मंत्र का 108 बार नित्य जप करें :-
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।।
साथ ही जिस वर के विवाह में भी देरी हो रही हो वह निम्न मंत्र का जप करें:-
पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।’
(3) दु:ख-दरिद्रता से छुटकारा हेतु:-
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्र्य दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता ॥
(4) विद्यार्थी-गण निम्न मंत्र का नित्य उच्चारण करें:-
विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:,
स्त्रिया: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्,
का ते स्तुति: स्तव्यपरापरोक्ति:॥
(5) पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए निम्न मंत्र करें:-
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:॥
(6) महामारी और रोग के विनाश के लिए :-
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी |
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते ||रोगनशेषानपहंसि तुष्टा। रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां। त्वमाश्रिता हृयश्रयतां प्रयान्ति।।
(7) स्वप्न में देवी से सिद्धि- असिद्धि जानने के लिए :-
दुर्गे देवी नमस्तुभ्य ं सर्वकामार्थसाधिके ।
म म सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय। ।
(8) अमंगल दूर कर जग कल्याण हेतु:-
सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
उपरोक्त मंत्रों का अपनी इच्छा के अनुसार यथाशक्ति जप करें (यदि 108 बार संभव हो सके तो बहुत अच्छा)।
जप करने के बाद निम्न मंत्र को अंत में रोज दोहराये :-
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
“या देवी सर्वभूतेषु क्षमा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
।।इति।।
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